15 वर्षों से कटनी नदी किनारे झोपड़ी में रही मुन्नीबाई को नहीं मिला PM आवास, भीक्षा मंगाकर खुद का और श्वानों का करती है भरण पोषण।

प्रवीण कुमार – कटनी। सरकार ने इसी उम्मीद के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की थी कि 2022 तक प्रत्येक गरीब व पात्र व्यक्ति के रहने के लिए पक्का आशियाना हो। वहीं गरीब भी यहीं उम्मीद लगाए बैठें हैं कि उन्हें रहने के लिए सिर पर पक्की छत जरूर मिलेगीं। लेकिन सच तो यह हैं कि आज भी गरीब व पात्र व्यक्ति तो योजना का लाभ लेने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। वहीं अमीर, प्रभावशाली व आपात्र लोगों की बल्लें- बल्ले हो रहीं हैं। आलीशान व बडे-बडे मकान, चौपहिया वाहन, गाड़िया हैं तो कोई बडे जमींदार हैं, राजनीति से लेकर तहसील क्षेत्र के कई प्रभावशाली लोग एवं जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं। सभी प्रकार की सुविधाएं इन लोगों के पास होने के बावजूद भी उन्हें प्रधानमंत्री आवास का लाभ लेने के लिए गरीब बन गए हैं। मगर गरीब व पात्र व्यक्ति तो अभी भी उक्त योजना में नाम जुड़वाने व लाभ पाने के लिए धक्के ही खा रहें हैं। ऐसी ही कहानी है कटनी नदी किनारे 15 वर्षों से झोपड़ी बनाकर रहने वाली महिला मुन्नीबाई की।

चर्म रोग से पीड़ित मुन्नीबाई को नहीं मिला अभी तक आवास – मुन्नी बाई की कहानी दुखों से भरी पड़ी है। परिवार में उसकी देखभाल के लिए भी आगे पीछे कोई नहीं है। कटनी नदी के मोहन घाट के किनारे घास फूस की झोपड़ी बनाकर वह करीब 15 वर्षों से रह रही है। महिला चर्म रोग से पीड़ित है। मुन्नी बाई ने बताया कि उसे पीएम आवास योजना का लाभ देने किसी ने कभी संपर्क ही नहीं किया। वह पढ़ी-लिखी भी नहीं है।

खुद भूखे रहकर भी रोज भर्ती है कुत्तों का पेट – मुन्नी बाई की आमदनी का जरिया भिक्षा ही है। वह कई वर्षों से शहर के प्रसिद्ध जालपा वार्ड स्थित जालपा देवी मंदिर के बाहर बैठकर भीक्षा लेती है।भीक्षा के रूप में उसे जो कुछ भी मिलता है उससे अपना तो गुजर-बसर करती ही है,साथ ही करीब आधा दर्जन कुत्तों का पेट भी वह रोज भर रही है। मुन्नी बाई का कहना है कि वह खुद भूखे रहना पसंद करती है लेकिन कुत्तों को भोजन जरूर खिलाती है।

अधिकारियों,जनप्रतिनिधियों की मिली भगत का खेल – प्रशासन व अधिकारियों की मिलीभगत से पात्र व गरीब आवास से वंचित है तो अमीर धन्नासेठ व रसूखदार जमकर मजे लूट रहें हैं। इसी तरह का मामला ग्रामीण क्षेत्रो में सामने आए है जिनमें पात्रता रखने वाले पीएम आवास से वंचित है और जो अपात्र है उन्हें योजना का लाभ दिया जा रहा है। कटनी जिले के ग्रामीण अंचलों में प्रधानमंत्री आवास योजना में अधिकांश अपात्र लोगों के नामों की संख्या वाले लोगों को आवास योजना का लाभ दिया जा रहा है जबकि वास्तविक में गरीब परिवारों के लोग हैं अपने कच्चे मकानों में निवास करने को मजबूर है।

जरूरतमंद भटक रहे लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं – नदी पार निवासी गणेश अहिरवार ने बताया कि मैं और मेरे जैसे कई गरीब पिछले कई वर्षों से एक अदद आवास के लिए भटक रहे हैं लेकिन हमारी सुध लेने वाला कोई नहीं है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर वे अधिकारियों से भी गुहार लगा चुके हैं। लेकिन अब तक महज आश्वासन ही मिला है।

पात्र हितग्राही टूटी फूटी झोपड़ी में रहने को है मजबूर – शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले कई वर्षों से पात्र हितग्राही टूटी फूटी झोपड़ी में रहने को मजबूर है। परिवार के लोग बारिश से बचने के लिए झोपड़ी के ऊपर प्लास्टिक डाल रखा है। लेकिन बरसात के दिनों में पूरी झोपड़ी में लबालब पानी भर जाता है। ऐसे में बरसात भर काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। बड़ी संख्या में गरीब परिवारों के लोग प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ पाने से वंचित हैं। लोग पुराने कच्चे मकानों में रहने को मजबूर हैं। आवास का लाभ पाने के लिए अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काटते-काटते थक चुके हैं।

झोपड़ी में ही गुजर गई पूरी उम्र – कुछ गरीब ऐसे भी हैं जो जन्म से ही झोपड़ी में रह रहे हैं। बरसात के दिनों में झोपड़ी में पानी टपकने लगता है। पूरे परिवार को जाग कर रात बितानी पड़ती है। डर बना रहता है कि बरसात का पानी घरों में लगने से कहीं झोपड़ी गिर न जाए।

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