कोई 18 वर्ष से, कोई 06 वर्ष से तो कोई 03 वर्ष से और कोई 01 वर्ष से गिद्ध की तरह मंडरा रहे आगर विधानसभा 166 में बाहरी उम्मीदवार, जनता चाहती हैं, उन्हें इस सीट पर मिले स्थानीय उम्मीदवार

राज कुमार – आगर मालवा। मध्य प्रदेश में जैसे ही विधानसभा चुनाव का शंखनाद होता है, वैसे ही चुनावी मौसम के मेंढक सकरिय हो जाते है। ये कौन है और कैसे होते हैं। इसका जवाब यह है कि जनाब जब भी चुनावी राजनीति से कुछ भी फायदे का गणित बैठता दिखाई देता है तो यह सक्रिय हो जाते हैं। चुनाव जाने के बाद यह गायब हो जाते हैं। ऐसे ही कई लोग खुद को भावी उम्मीदवार कहकर खुद को प्रोजेक्ट करने में लगे हैं। ताल सरेआम यह ठोकते हैं कि अमूक पार्टी का टिकट उनके घर आ जा चुका है, और अब बस घोषणा बाकी है। बड़े नेताओं के नाम इस तरह से लेते हैं, जैसे उनके चाचा या ताऊ हों। अब ऐसे ही बाहरी चुनावी मेंढक का शिकार आगर विधानसभा 166 हो रही है। जैसे ही चुनाव आते हैं इस विधानसभा में बाहरी चुनावी मेंढक सक्रिय हो जाते हैं, लोगों के बीच पहुंचाते हैं उन्हें बर्गलाते हैं उन्हें उनकी समस्याओं का निराकरण करने का लालच देते हैं, कहीं धार्मिक आयोजन हुए तो वहां पहुंच जाते हैं, कहीं पर सामाजिक कार्यक्रम हो रहा है तो वहां पर पहुंच जाते हैं, कुछ नहीं तो छोटे-मोटे भंडारे का आयोजन भी कर देते हैं, यह हर संभवत इस प्रयास में लगे रहते हैं कि जनता को लगे कि हम यही के स्थानीय उम्मीदवार हैं। इस आगर विधानसभा 166 में कुछ तो ऐसे बाहरी उम्मीदवार हैं जो करीब 18 वर्ष यहीं पर यह साबित करने में लगे हुए हैं कि हम स्थानीय निवासी हैं। तो कोई 06 वर्ष से यहां पर लगे हुए हैं की वह यहां के स्थानीय निवासी है, तो कोई 03 वर्ष से आकर यहां पर लगा हुआ है कि मैं यहां का स्थानीय निवासी हूं, और किसी को तो 01 वर्ष ही आए को हुए की वह भी कहते है कि हम यहां के स्थानीय हैं। इन बाहरी उम्मीदवारों ने स्थानीय निवासी होने के लिए इतने पापड़ बेले की इनके द्वारा क्षेत्र में कहीं जगह मकान खरीद लिए, और किसी ने तो नगरी क्षेत्र में तो किसी ने पंचायती क्षेत्र में वोटर लिस्ट में अपने नाम जुड़वा लिए, किसी ने कहीं पर जमीनें खरीद ली, तमाम तरीके अपना लिए।

लेकिन इस आगर विधानसभा 166 की जनता की हमेशा स्थानीय उम्मीदवार की मांग रही है, अब इस सीट पर लोगों की मांग है कि ऐसे प्रत्याशी को टिकट दिया जाए जो कि स्थानीय होने के साथ-साथ काबिल भी हो और क्षेत्र की जनता के दुख-दर्द को समझ सके। अगर स्थानीय उम्मीदवार को टिकट मिलता है तो, वह स्थानी होने के नाते शुरू से ही विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है लोगों से जुड़ा हुआ है वह क्षेत्र की सभी समस्याओं से अवगत हैं। कहीं बार ऐसा होता है कि बाहरी उम्मीदवार क्षेत्र के लोगों से परिचित ही नहीं होते हैं। और चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र की जनता उनके दर्शन मात्र के लिए ही तरस जाती हैं। क्षेत्रीय जनता का यह भी कहना है की पिछली बार हुए विधानसभा चुनाव में जो स्थानीय उम्मीदवार दावेदार थे, उनकी दावेदारी को दरकिनार कर बाहरी दावेदार को टिकट दिया गया था, लेकिन इस बार इनकी दावेदारी को खारिज न किया जाए। और स्थानीय उम्मीदवार को ही टिकट दिया जाए। स्थानीय लोगों ने कहा कि ये स्थानीय उम्मीदवार काफी समय से क्षेत्र की जनता की सेवा करते चले आ रहे हैं, और आगर विधानसभा की जनता भी इन लोगों की दावेदारी की मांग कर रही है।

Leave a Reply