राजस्व एवम वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियो के मिली भगत से गुम हो गई करोड़ो रुपयों की लकड़ी तस्करी की जांच की नामदज बनी फाइल, SDM के संज्ञान में आते ही भ्रष्ट अधिकारियों एवम तस्करो में मचा हड़कंप।

दीपक कुमार गर्ग – इन दिनों शहडोल जिले के जयसिंहनगर वन परिक्षेत्र में साल के पेड़ की लकड़ी के तस्करों का जम कर बोला बाला है। ज्ञात हो की विगत 06 माह से वन एवं राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियो ने उत्तर प्रदेश के लकड़ी तस्करो से मिलीभगत कर करोड़ो रुपए की कीमती साल के पेड़ की लकड़ी को शासन के आंखो में धूल झोकते हुए तस्करो के हवाले कर दिया।ग्रामीणों ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर ही मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि, संपूर्ण साल के पेड़ की लकड़ी की तस्करी में वन परिक्षेत्र सहायक चितराव एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में, तस्करो ने आरी मसीन से राजस्व सीमा के खसरा क्रमांक 232 राजस्व ग्राम रामपुर, बिनैका, बड़काडोल, बचहा लपरी, छपरा, एवं छत्तीसगढ़ के सीमा से लगे हुए वन एवम राजस्व भूमि के सम्पूर्ण बहुमूल्य उपयोगी साल के पेड़ की लकड़ी को बेहद चालाकी से ट्रक के माध्यम से उत्तर प्रदेश के तस्करों के हवाले कर दिया।

हालाकि तमाम तस्करी में सहायक परिक्षेत्र अधिकारी के गृह ग्राम समेत क्षेत्र के लगभग 10 से अधिक तस्कर सक्रिय है, उक्त तस्करी में वन परिक्षेत्र से सटे हुए ग्राम दरौडी का जेसीबी संचालक भी संलिप्त बताया जा रहा है। हलाकि इस तमाम तस्करी की जानकारी को जब मीडिया एवं भाजपा किसान मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष रमाकांत तिवारी ने तहसीलदार जयसिंहनगर को दिए तो, तहसीलदार जयसिंहनगर ने उक्त तस्करी की बारीकी से जांच करते हुए दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही का आश्वासन दिया गया। अब देखना यह होगा की जांच के दायरे में कौन कौन से अधिकारी आते हैं, एवं उन पर किस प्रकार की कार्यवाही होती है।

हालाकि तमाम घटनाक्रम पर वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियो ने भी पर्दे के पीछे अहम किरदार निभाया है। इसीलिए तो वन विभाग के अधिकारी कई दिनों के अथक प्रयास के बाद भी मीडिया के सामने आने से बचते हुए नजर आ रहे हैं।

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