राज कुमार – आगर मालवा। नए सत्र के रूप में 20 जून से जिलेभर के स्कूलों के दरवाजे स्कूली बच्चों के लिए खोल दिए गए हैं। जिसमें नवीन कक्षाओं में प्रवेश लेने के साथ नए बच्चों का भी स्कूल परिसर में पर्दापण हो रहा है। दो माह तक स्कूल बंद के दौरान शासन स्तर पर नए सत्र संचालन से पूर्व तैयारियों के दिए निर्देश के बाद भी जिले के अधिकांश स्कूल बदहाली में ही पुन: संचालित हो रहे है। एक ऐसा ही शासकीय प्राथमिक विद्यालय आगर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत कुंडला खेड़ा में संचालित है जो काफी जर्जर स्थिति में है। जिसके कारण यहां अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बाद भी सर्व शिक्षा अभियान विभाग इस भवन की मरम्मत पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। भवन की स्थिति का आंकलन उसके बाहरी दीवारों से ही समझा जा सकता है। जबकि भवन के अंदर रंग रोगन से कमरे की जीर्णशीर्ष को छिपाने का प्रयास किया जाता है। लेकिन बारिश के दौरान सीलन और लगातार छत से टपक रहा पानी और चटक रही सीमेंट की परत उसकी जर्जरता को बयां कर जाते हैं।
बता दें कि ग्राम कुंडला खेड़ा में स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय के भवन की स्थिति बहुत ही बदहाल हो चुकी है भवन की दीवारों में जगह-जगह दरारे पड़ गई है। भवन की छत के कई हिस्सों में से तो छज्जे ही गिर गए हैं, भवन के शौचालय की बात करें तो पूर्ण रूप से बंद पड़ा हुआ है, वहां पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर लिया है, और वह ऐसी स्थिति में आ गया है कि वह कभी भी जमीदोष हो सकता है। जिसके कारण बच्चे शौचालय में नहीं जाते हैं और वह बाहर ही सोच करने के लिए जाते हैं। भवन के पिछले हिस्से की दीवारों में बड़े-बड़े छेद हो गए हैं, दीवारों का आधा मलवा जमीन पर गिर गया है। भवन के ओर चारों ओर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। जो बच्चों का स्वास्थ्य भी बिगड़ रहा है।
वहीं गांव के ही कुछ लोगों द्वारा भवन के आसपास व स्कूल की शासकीय भूमि पर भी अतिक्रमण कर पक्का निर्माण भी कर लिया। वहीं कुछ लोगों द्वारा स्कूल भवन के पास एवं पिछले हिस्से में गंदगी के ढेर लगा दिए और रोजाना वहां पर गंदगी फेंकते हैं जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बना हुआ है, वहीं कुछ अतिक्रमणकारियों द्वारा तो स्कूल परिसर में अपने मवेशी ही बांध दिए और उन्हें वहीं पर घास पानी डालते हैं।अध्ययनरत छात्र छात्राओं के अभिभावकों ने बताया कि स्कूल भवन काफी जर्जर स्थिति में है। जिसके छत से प्लास्टर के टुकड़े आए दिन गिरने की वजह से बच्चों के घायल होने का डर भी बना रहता है।
इसके साथ ही बारिश वाले दिन छत से पानी टपकने से कक्षा में जलभराव हो जाने से बैठने की भी जगह नहीं रह जाती। अभिभावकों के साथ ही विद्यालय के शिक्षकों ने बताया कि जर्जर विद्यालय भवन को लेकर कई बार विभागीय अधिकारियों को जानकारी दी गई है। जिसके बाद भी मरम्मत के लिए बजट प्रधान नहीं किया जा रहा है। वर्तमान में इस विद्यालय में 35 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है। जर्जर भवन की वजह से सभी की जान को खतरा बना हुआ है।