water problem: एक तरफ ग्रामीण पानी की किल्लत से परेशान, तो वहीं दूसरी और जिले मैं नहीं थम रहा नलकूप खनन का काम, अधिकारी आदेश तो निकाल देते हैं पर पालन नहीं करवा पाते

राज कुमार – आगर मालवा। water problem: जिले भर में प्रतिबंध के बाद भी धड़ल्ले के साथ अवैध तौर पर नलकूप खनन किया जा रहा है। पीएचई विभाग के प्रतिवेदन के आधार पर आगर कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने बिना अनुमति के नलकूप खनन पर रोक लगा दिया था। लेकिन इसके बाद भी जिले भर में धड़ले से नलकूप खनन किया जा रहा है,

क्योंकि अधिकारी आदेश तो निकाल देते हैं लेकिन उस पर कड़ाई से पालन नहीं करा पाते, जिसके कारण बोरिंग मशीन संचालक पुलिस और विभागीय जिम्मेदारों से साठगांठ कर नलकूप खनन करने में जुटे हुए हैं यह बेखौफ होकर कलेक्टर के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए प्रतिबंध के बावजूद भी नलकूप खनन कर रहे है।

ग्रामीण क्षेत्रों में है जलसंकट : water problem: जिले भर के दो सैकड़ा से अधिक ग्राम पंचायतों में पानी की भारी किल्लत है। भूजल स्तर नीचे खिसक गया है। एक ऐसा ही मामला आगर जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर उज्जैन रोड पर स्थित झालरा डेरा के ग्रामीण इन दिनों पेयजल संकट का सामना कर रहे हैं। जलस्तर नीचे जाने के कारण इस गांव के सभी ट्यूबवेल बंद हो गए हैं। ऐसे में गांव बाहर इंदौर-कोटा मार्ग स्थित एक मात्र ट्यूबवेल से रुक रुक कर पानी आ रहा है, जिसके कारण इस भीषण गर्मी में गांव के सभी ग्रामीण पेयजल आपूर्ति के लिए इस ट्यूबवेल पर ही पानी भरने के लिए आ रहे हैं

इन सबके बाद भी बोरिंग मशीन संचालक गांव गांव घूमकर मनमानी दरों में निजी बोर कर रहे हैं। और अब तो बोरवेल मशीन संचालकों के हौसले इतने बुलंद हो गए कि वह जिला मुख्यालय पर ही धड़ल्ले से नलकूप खनन कर रहे हैं। पूर्व में भी एक ऐसा ही मामला आगर विधानसभा अंतर्गत आने वाले गांव फतेहगढ़ में देखने को मिला है, जहां पर निजी बोरिंग संचालक कलेक्टर के आदेश की धज्जियां उड़ते हुए नलकूप खनन कर रहा था। जिसकी सूचना अधिकारि घटनास्थल पहुंचे, और अधिकारी ने देखा कि अवैध तौर पर नलकूप खनन किया जा रहा था, लेकिन इसके बाद भी अधिकारी ने बिना कोई कारवाई किए ही मशीन को वहीं पर छोड़ दिया और वहां से चले गए।