कवि छोकर – सीहोर। आज के युग मे बेटे से बढ़कर बेटियां हर क्षेत्र में अपनी उपलब्धि से देश समाज और परिवार का नाम रोशन कर रही है। किसी भी क्षेत्र में बेटियां बेटो से कम नही है। इसका जीता जागता उदाहरण आज शमशान में देखने को मिला जब बेटे की कमी को बेटी द्वारा पूरा करते हुए अपना पुत्र धर्म निभाया और अपने पिता को मुखाग्नि दी गई। बता दें कि भारतीय थल सेना से मेजर की रेंक से रिटायर गिरीश आननद की मौत पर आज उनकी एकमात्र बेटी रोशनी ने सामाजिक रीति रिवाज से परे हटते हुवे अपने पिता की अर्थी को कंधा देते हुवे श्मशान पहुची ओर अपने मेजर पिता गिरीश आननद को मुखाग्नि देकर पुत्र धर्म निभाया रोशनी के इस साहस की सर्वत्र प्रशंशा हो रही है।