Boycott of Lok Sabha elections 2024: ग्राम रायपुरिया- ढंडेड़ा के ग्रामीणों ने लिया लोकसभा निर्वाचन 2024 में मतदान बहिष्कार का निर्णय, ग्रामीण कई वर्षो से करते आ रहे हैं सड़क और पुलिया की मांग, आठ गांवों की लिंक को जोड़ने वाली है यह सड़क

राज कुमार – आगर-मालवा। ग्राम रायपुरिया- ढंडेड़ा के मध्य में आने वाली करीब 1.5 किलोमीटर की सड़क के लिए लिए परेशान हो रहे आगर विकासखंड के ग्राम रायपुरिया- ढंडेड़ा के ग्रामीणों द्वारा सड़क की मांग को लेकर लोकसभा चुनाव में मतदान बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में बुधावर को ग्रामीणों द्वारा गांव के प्रवेश द्वार पर चुनाव बहिष्कार का बैनर लगाकर लोकसभा निर्वाचन 2024 में मतदान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया। और बैठक कर ग्रामीणों ने गांव की समस्या को शासन-प्रशासन तक पहुंचाने के लिहाज से लोकसभा चुनाव में मतदान नही करने का निर्णय लिया ग्रामीणों का कहना है

पहले हमारी मांगी पूरी होगी उसके बाद ही हमारे द्वारा वोट डाले जाएंगे। ग्रामीणों का कहना है कि उनका नजदीकी शहर कानड़ पड़ता है लेकिन सड़क खराब होने की वजह से उन्हें 20-25 किलोमीटर का उल्टा रन कर कानड़ तक पहुंचना पड़ता ह, जबकि अगर सड़क पक्की हो तो वह महज 08 किलोमीटर में ही कानड़ पहुंच सकते हैं, वहीं रायपुरिया के ग्रामीणों को आगर शहर जाना हो तो उन्हें कानड़ होकर आगर आना पड़ेगा जो करीब 30 किलोमीटर का उल्टा रास्ता पार करना पड़ेगा, जबकि अगर दोनों गांव के बीच की सड़क सही हो तो वह महज 16 किलोमीटर में ही आगर शहर पहुंच सकते हैं।

दोनों गांव के बीच में कच्ची पड़ी यह सड़क छात्रों के जीवन पर भी दुष्प्रभाव डाल रही है क्योंकि बारिश के दोनों यह सड़क पूर्ण रूप से कीचड़ भरी हो जाती है और नाला होने की वजह से सड़क पूर्ण रूप से बंद हो जाती है, जिसकी वजह से छात्र ग्राम ढंडेड़ा से छात्र शिक्षा हेतु रायपुरिया तक नहीं पहुंच पाते अगर वह कोशिश करते रायपुरिया शिक्षा के लिए पहुंच भी गए तो ज्यादा बारिश होने की वजह से नाले के पानी का लेवल बड़ जाता है, जिसकी वजह से वह वापस अपने घर नहीं लौट पाते फिर उन्हें उनके अभिभावको द्वारा करीब 25 किलोमीटर घूम कर वाहनों से छात्रों घर लाने के लिए पहुंचना पड़ता है। दोनों गांव के बीच की यह कच्ची सड़क दोनों गांव के लिए महज एक जंग से कम नहीं है, ग्रामीण लंबे समय से इस जंग से लड़ते आ रहे हैं।

ग्राम रायपुरिया- ढंडेड़ा के ग्रामीणों द्वारा लंबे समय से सड़क की मांग को लेकर आवाज़ उठाई जा रही है, यहां तक की ग्रामीणों द्वारा नेताओं एवं कलेक्ट्रेट कार्यालय के भी चक्कर काटे गए लेकिन ग्रामीणों की कहीं भी सुनवाई नहीं की गई, ग्रामीणों द्वारा वर्षों से ग्राम रायपुरिया- ढंडेड़ा के मध्य में आने वाली 1.5 किलोमीटर की सड़क और उसके बीच आने वाली पुलिया बनाने की मांग को लेकर आवाज उठाई जा रही है लेकिन ग्रामीणों की अभी तक कहीं भी सुनवाई नहीं हुई और ना ही पुलिया बनी और ना ही सड़क बनी, ग्रामीण कहना है कि नेता आते हैं और बड़े-बड़े झूठे वादे करके चले जाते हैं और फिर अपना मुंह नहीं दिखाते दोनों गांव के बीच की यह कच्ची सड़क आठ गांव की लिंक को जोड़ती है यह सड़क पूर्ण रूप से कच्ची है और बारिश के दिनों में यह परेशानी बहुत अधिक बढ़ जाती हैं साथ ही बीच में नाला आने की वजह से बारिश के दिनों वह खतरे से कम नहीं है क्योंकि इस रास्ते से बारिश के दोनों आवागमन नहीं किया जा सकता, ना ही इस रास्ते से स्कूली छात्र पढ़ने जा सकते हैं छात्रों करीब दो माह तक की पढ़ाई इस कच्ची सड़क और नाले की वजह से बाधित होती है।

“डिलीवरी वाली प्रसूताओं को आती है परेशानी” – वर्षों से कच्ची पड़ी इस सड़क से ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, गांव के लोग रास्ता कच्चा होने की वजह से बीमार वाली स्थिति में सही समय पर स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं पहुंच सकते यह समस्या डिलीवरी वाली प्रसुताओं वाली महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा खतरा बनी हुई है, कच्चे रास्ते की वजह से एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाती जिसकी वजह से प्रसुताओं को अस्पताल ले जाते समय बीच में ही प्रसव हो जाता है, जिसकी वजह से प्रसूता और बच्चे की जान को बहुत खतरा बना रहता है।

“बच्चों को स्कूल जाने में आती है परेशानी” – ग्राम ढंडेड़ा के बच्चों का कहना है कि उनके गांव में मिडिल स्कूल नहीं है जिसकी वजह से वह कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई तो उनके के ही गांव में कर लेते हैं, लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें ग्राम रायपुरिया जाना पड़ता है, और रायपुरिया जाने के लिए उन्हें इस कच्ची सड़क से होकर जाना पड़ता है, जो उनके जीवन में एक संघर्ष से कम नहीं है और यह संघर्ष एक दिन बड़े हादसे का कारण बन सकता है, बच्चों कहना है कि खराब सड़क और नाले की वजह से उनके परिवार वाले उन्हें पढ़ने के लिए स्कूल नहीं भेजते हैं, और जो बच्चे पढ़ने के लिए जाते हैं उन्हें हर पल खतरा बना रहता है। क्योंकि वह इस कच्ची कीचड़ भरी सड़क से स्कूल तक तो पहुंच जाते हैं लेकिन बारिश ज्यादा होने की वजह से नाले के पानी का लेवल बढ़ जाता है जिसकी वजह से वह पुनः अपने घर नहीं लौट पाते उन्हें वहीं बैठकर पानी का लेवल कम होने का इंतजार करना पड़ता है अगर बैठे-बैठे अंधेरा हो गया तो उन्हें उनके परिवार वालों को वाहनों से लेने पहुंचना पड़ता है जिसकी वजह से उनके परिवार वाले उन्हें स्कूल नहीं भेजते वह बारिश में दो महीने स्कूल तक नहीं पहुंच सकते जिनकी वजह से उनकी पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

“कच्ची सड़क ग्रामीणों के रोजगार पर भी डाल रही दुष्प्रभाव” – कच्ची सड़क से आवागमन को लेकर चल रहा मामला तो ठीक था लेकिन यह कच्ची सड़क ग्रामीणों के रोजगार पर भी दुष्प्रभाव डाल रही है क्योंकि ग्राम ढंडेड़ा के ग्रामीणों को सबसे नजदीक शहर कानड़ पड़ता है और उन्हें जाने के लिए भी यह कच्ची सड़क वाला रास्ता पास पड़ता है, इस रास्ते से वह कानड़ महज 08 किलोमीटर में ही पहुंच सकते हैं, लेकिन रास्ता खराब होने की वजह से उन्हें करीब 20 से 25 किलोमीटर उल्टा घूम कर कानड़ पहुंचना पड़ता है जिसकी वजह से वह रोजगार के लिए भी बहुत परेशान होते हैं। ख़राब सड़क की वजह से दोनो गांव के ग्रामीणों घूम-घूम कर शहर तक जाना पड़ता है।